आप में से कई लोग अपनी स्कूली पढ़ाई तो खत्म कर ही चुके होंगे या कर रहे होंगे। स्कूल का एक छात्र के जीवन में क्या महत्व होता है, इससे आप अच्छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि एक SCHOOL Full Form क्या होता है? अगर नहीं, तो आप सही जगह आए हैं इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे SCHOOL का Full Form क्या होता है? SCHOOL क्या होते हैं? तथा स्कूल के प्रकारों के बारे में तो आइए शुरू करते हैं:-
SCHOOL Full Form क्या है?
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School Full Form “Sincerity, Capacity, Honesty, Orderliness, Obedience, Learning” है। School Full Form In Hindi “सच्चाई, क्षमता, ईमानदारी, सुव्यवस्था, आज्ञाकारी, सीखना” होता है। इस तरह हम कह सकते हैं स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां पर बच्चों को सच्चाई, ईमानदारी, सुव्यवस्था, आज्ञाकारी जैसे तत्वों को सिखाया जाता है जिससे वे अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकें। आइये जानते है SCHOOL के बारे में और अधिक जानकारी।
SCHOOL क्या है?
स्कूल को हम एक ऐसी संस्था के रुप में परिभाषित कर सकते हैं जिसका उद्देश्य होता है देश के प्रत्येक क्षेत्र में लोगों को शिक्षित करना। SCHOOL के माध्यम से छोटे गांव से लेकर शहरों तक बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाती है। किसी भी छात्र के जीवन में स्कूल या विद्यालय का काफी महत्व होता है क्योंकि आगे जाकर एक छात्र भविष्य में क्या बनता है, इसका सारा दामोदर स्कूल पर ही निर्भर करता है।

स्कूल में बच्चों के मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक जैसे कई गुणों का विकास होता है। विद्यालय के लिए स्कूल शब्द का प्रयोग किया जाता है। स्कूल शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के “Skohla” या Skhole” शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है अवकाश। स्कूल का यह अर्थ थोड़ा अटपटा सा जरूर लगता है लेकिन प्राचीन यूनान में अवकाश काल को ‘आत्म विकास’ माना जाता था।
जिस तरह एक बच्चे के जीवन में भगवान के बाद माता-पिता का अहम स्थान होता है। उसी तरह एक बच्चे के लिए School मंदिर के समान है, इसलिए स्कूलों को “विद्या का मंदिर” भी कहा जाता है।
SCHOOL का इतिहास
वैश्विक स्तर पर स्कूल के कई इतिहास प्रचलित है। लेकिन भारतीय संदर्भ में बात करें तो प्राचीन काल में भारत में गुरुकुल के रूप में SCHOOL हुआ करते थे। इसके बाद मुगल काल में बच्चों को शिक्षित करने के लिए मदरसों की व्यवस्था की गई। 18वीं सदी में भारत में विद्यालय सामान्य थे तथा यहां पर मंदिर, मस्जिद और गांव में एक विद्यालय होना आम बात थी। इन विद्यालयों में धर्म शास्त्र, कानून, खगोल, आचार-विचार चिकित्सा विज्ञान और धर्म के बारे में शिक्षा दी जाती थी।
लेकिन जब भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार हुआ तब यहां पर क्रिश्चियन मिशनरियों का प्रभाव बढ़ गया। इन विशेषज्ञों ने आवासीय विद्यालय खोले और इन विद्यालयों में पढ़ाई लिखाई के दौरान अनुशासन तथा पाठ्यक्रम में अंग्रेजी का काफी ध्यान रखा जाने लगा। आज वर्तमान में भारत में कई शिक्षा बोर्ड और मंडल मौजूद है तथा इनमें लगभग हर तरह के विषयों को पढ़ाया जाता है।
SCHOOL और Mid-Day-Meal
जैसा कि आप जानते हैं भारत में ऐसे कई गरीब और पिछड़े लोग हैं जो एक वक्त का खाना भी नहीं जुटा पाते। ऐसे में सवाल उठता है कि यह लोग आखिर अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे कैसे? चरम गरीबी में रहने की वजह से वे अपने बच्चों को नहीं पढ़ाते। इसी समस्या के हल के लिए भारत सरकार द्वारा मिड-डे-मील योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के अंतर्गत सरकारी और सरकारी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में छात्रों को दोपहर का भोजन फ्री में दिया जाता है।
बच्चों के लिए शुरू की गई यह योजना काफी बड़ी है। इस योजना की शुरुआत 1995 में की गई थी तब से अगर अब तक इसमें कई परिवर्तन भी किए गए। दोस्तों हम SCHOOL FULL Form के बारे में तो जान गए है अब आइये जानते है की स्कूल कितने प्रकार के होते है।
स्कूल के प्रकार | Types Of Schools
स्कूल या विद्यालय भी कई प्रकार के होते हैं। इनके बीच की भिन्नता उद्देश्य, स्वरूप, ढांचा, विचारधारा के मुताबिक अलग-अलग होती है तो आइए जानते हैं। विद्यालय के विभिन्न प्रकारों के बारे में:-
- निजी स्कूल: इस तरह के स्कूल का संचालन निजी संस्था द्वारा या समुदाय द्वारा किया जाता है। यानी कि स्कूल में कार्यरत कर्मचारियों को उनका वेतन भी इसी निजी संस्था के जिम्मे से दिया जाता है। निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों से बच्चों को ज्यादा सुविधाएं प्राप्त होती है। उन्हें यहां पढ़ाई के लिए फीस भी भरनी पड़ती है। लेकिन ऐसा सरकारी विद्यालयों के साथ नहीं होता क्योंकि निजी स्कूल पूरी तरह से पूंजी पर निर्भर करते हैं इसीलिए वर्तमान समय में इन स्कूलों की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है जिसका असर पूरी तरह से सरकारी और निजी स्कूल के बच्चों के बीच विद्मान भिन्नता के रूप में देख सकते हैं।
- सरकारी स्कूल: निजी स्कूल के इतर सरकारी स्कूलों का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन स्कूलों में कर्मचारी का वेतन भी सरकार ही देती है। निजी स्कूल कर्मचारियों के मुकाबले सरकारी स्कूल के कर्मचारियों की Job Security ज्यादा होती है। एक समय था जब कहा जाता था कि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूल के मुकाबले ज्यादा व्यवस्थाएं नहीं होती लेकिन वर्तमान समय में यह धारणा लगातार बदल रही है क्योंकि आज सरकारी स्कूलों में भी उच्च कोटि की व्यवस्थाएं दी जा रही हैं।
- मिलिट्री स्कूल: इस तरह के स्कूलों का संचालन रक्षा मंत्रालय द्वारा करता है। इन स्कूलों में आपको कड़ा अनुशासन नजर आएगा।
- केंद्रीय स्कूल: केंद्रीय विद्यालय भारत के अच्छे स्कूलों में गिना जाता है। इस तरह की स्कूलों में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त होती है। इन स्कूलों का संचालन राज्य सरकार की शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है। इस तरह के स्कूल वर्तमान समय में प्रत्येक गांव में मौजूद है।
- नवोदय स्कूल: जवाहरनवोदय विद्यालय भारत सरकार के मानव संसाधन विकास द्वारा चलाई जाने वाली एक परियोजना है। इस तरह के विद्यालयों का उद्देश्य होता है। गांव के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आगे लाना। वर्तमान समय में इस तरह के विद्यालय 27 राज्य और 8 संघ शासित राज्य में संचालित किए जा रहे हैं।
- संस्कृत स्कूल: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है। ऐसा विद्यालय जहां पर संस्कृत की शिक्षा दी जाती है। इन विद्यालयों में वेदों, पूजा, प्रार्थना, तंत्र आदि संबंधित शिक्षा दी जाती है जो कि मूलतः संस्कृत में ही होती है।
- मिशनरी स्कूल: जैसा कि आप जानते हैं ब्रिटिश शासन काल के दौरान मिशनरियों द्वारा कुछ विद्यालयों की स्थापना की गई थी। इस तरह के विद्यालयों में ईसाई धर्म का प्रभाव ज्यादा था। वर्तमान समय में भी ईसाई धर्म से जुड़े संगठनों में यह स्कूल चलाए जा रहे हैं। यह स्कूल भी CBSE द्वारा मान्यता प्राप्त होते है। स्कूलों में आपको ईसाई धर्म का प्रभाव ज्यादा दिखाई देगा।
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निष्कर्ष (Conclusions) : इस लेख के जरिए आपने जाना SCHOOL Full Form क्या होता है? स्कूल क्या होता है? स्कूल के प्रकार क्या होते हैं? स्कूल में भी जाने वाली मिड डे मील की व्यवस्था क्या है? उम्मीद है आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा। अगर आप इस लेख से संबंधित और भी जानकारी हासिल करना चाहते है तो हमें कमेंट सेक्शन में बताएं।